रिव्यूज

रिव्यू : भव्यता की तेज आंच में पिघलता ‘ब्रह्मास्त्र’ का पार्ट वन ‘शिवा’

Brahmastra Movie Download Full HD Leaked By Telegram, Tamilrockers
Written by Tejas Poonia

हमारा भारतवर्ष जिसका इतिहास खूबसूरत अनोखी कहानियों से सजा हुआ है। इस फिल्म में इतिहास की उन्हीं अनोखी कहानियों में से एक का जिक्र मिलता है। फिल्म शुरू होती है तो अमिताभ बच्चन की भारी भरकम आवाज में फिल्म की कहानी नरेशन के रूप में कुछ इस तरह बताई जाती है। यह फिल्म उन महान-ज्ञानी, ऋषि-मुनियों के माध्यम से हिमालय से अपनी यात्रा आरम्भ करती है। हिमालय की शरण में उन्होंने कठिन तप किया और उन्हें वरदान में एक ब्रह्म शक्ति मिली। जब ये धरती से टकराई तो अस्त्रों का जन्म हुआ। अग्नि की शक्ति से भरा अग्नि अस्त्र, जलास्त्र, पवनास्त्र, पशु-पक्षियों की शक्तियों से गढ़े गये अस्त्र आदि ऋषि-मुनियों की तपस्या सम्पूर्ण हो गई थी। लेकिन फिर उन ब्रह्मांड चीख उठा क्योंकि उस ब्रह्म शक्ति के भीतर एक आखरी महा अस्त्र जन्म ले रहा था। जो शिव भगवान की तीसरी आंख की तरह था। ये निर्माण और विनाश दोनों कर सकता था। ऋषियों ने समझा की इस महा अस्त्र पर किसी तरह नियन्त्रण पाना होगा। काफी संघर्ष के बाद ऋषियों ने उसे शांत तो कर दिया लेकिन?

फिर उस हिमालय की चोटी पर प्रकट हुआ सर्वशक्तिशाली सारे अस्त्रों का देवता ‘ब्रह्मास्त्र।’ ऋषियों ने ब्रह्मास्त्र के सामने सर झुकाया और उस दिन से वे कहलाने लगे ‘ब्रह्मांश।’ पीढ़ी दर पीढ़ी एक गुप्त समूह बनकर ब्रह्मांश के सारे अस्त्रों और ब्रह्मास्त्र की रक्षा करता रहा। इतिहास बनता गया, पीढियां बदलती गईं , दुनियां बदलती गईं , बदलाव के साथ दुनियां इन अस्त्रों के बारे में भूलती चली गई। बस इसके बाद शुरू होती है नये भारत की कहानी में जन्में लड़के से। जहाँ शिवा नाम का लड़का रहता है और उसका आग तथा ब्रह्मांश से कोई पुराना नाता है।

ये लड़का शिवा कौन है? कहाँ से आया है? उसका ब्रह्मांश से क्या पुराना नाता है? ये सब आपको फिल्म में पूरी भव्यता के साथ दिखाया जाता है। समझाया भी जाता है। लेकिन कुछ फिसलती, पिघलती कहानी व स्क्रिप्ट के साथ। वानरास्त्र, नंदी अस्त्र, अग्नि अस्त्र और ब्रह्मास्त्र समेत इस इसके तीन जो टुकड़े हुए है वो इस सीरीज रुपी तीन खंडों में बनने वाली फिल्म में पूरे होने हैं। 400 करोड़ की लागत से बना पहला खंड या पार्ट दिखाता है कि किस तरह लोगों को बचाया जा रहा है और किस दुनियां को बचाया जा रहा है। लेकिन क्या सचमुच ये दुनियां और लोग बचे? ये सब आपको फिल्म में देखने मिलेगा।

हिंदी फिल्म उद्योग में इस तरह का मार्वल सिनेमा टाइप एनिमेशन, वीएफ़एक्स पहली बार देखने मिलेगा। फिल्म शुरू में ही जो माहौल आपके लिए सेट खड़ा करती है भव्यता का वो आखिर तक तो बना रहता है लेकिन कहानी तथा स्क्रिप्ट के छेद में यह पिघलती जाती है। चने के झाड़ पर चढ़ तो आप फिल्म के शुरू में जाते हैं लेकिन फिर धड़ाम से जो इसमें दिखाई गई लव स्टोरी आपको गिराती है उससे आप अंत तक उबर कर उठ नहीं पाते। अचानक बीच-बीच आने वाले कई सारे गानों में कुछ अच्छे लगते हैं देखने-सुनने में तो कुछ नहीं। इस तरह फिल्म अपने पहले इंटरवल के साथ बोझिल होने लगती है। लेकिन इन सब बातों को छोडिये आप तो फिल्म के शानदार वुजुअल्स, वीएफएक्स, कैमरे और कम्प्यूटर से बनाये गये एनिमेशन को देखकर लुत्फ उठाइये। खुद भी देखिये अपने बच्चों को भी दिखाइये।

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क्योंकि हिंदी सिनेमा में ऐसा शानदार, भव्य सिनेमा कभी-कभी ही तो देखने को मिलता है। फिर मत कीजिए परवाह किसी भी तरह के बॉयकाट का। इंटरवल के बाद शुरू होने वाली लव स्टोरी फिर भले ही आपका मनोरंजन उसी स्तर पर बरकरार न रखे। भव्यता के चमकीले रैपर और आवरण में लिपटी इस सिनेमाई चॉकलेट के लिए फिर अफ़सोस न कीजिएगा कि सिनेमाघरों में अच्छा मनोरंजन नहीं मिलता। फिल्म को तकनीकी रूप से देखें तो कहानी, स्क्रिप्ट को छोड़ सिर्फ एडिटिंग के मामले में थोड़ा कम किया जाता तो यह शानदार, यादगार फिल्म हो सकती थी।

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सरपट दौड़ती, भागती इस फिल्म के अंत में आने वाले क्रेडिट्स पर भी खासा अच्छा ध्यान दिया गया है। अयान मुखर्जी निर्देशन के मामले में एकदम खरे उतरते हैं। बस हॉलीवुड और मार्वल टाइप फिल्म न होकर उनके बराबर टक्कर में खड़ी रहकर भी यह फिल्म टिपिकल बॉलीवुड फिल्म ही नजर आती है। डायलॉग्स ठीक-ठाक से हैं। अभिनय सबका एक नम्बर है। संस्कृत के क्लिष्ट श्लोक इस तरह की फिल्मों में चलते हैं, जमते हैं। म्यूजिक, बैकग्राउंड स्कोर माशाअल्लाह है। सिनेमैटोग्राफी भी माशाअल्लाह चार चाँद लगाती है। फिल्म में आग के सीन में ब्लैक आउट जैसा कुछ करना एक अलग तरह का ही अच्छा तरीका है।

रनबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, नागार्जुन मोनी रॉय, डिम्पल कपाड़िया आदि बड़े फिल्म स्टार्स को लेकर बनी यह फिल्म और बढ़िया लोकेशंस को साथ लेकर चलती, बढ़िया एक्शन, थ्रिलर को साथ उठाती यह फिल्म कुछ जगहों पर चुभन भी छोड़ जाए तो उसे बने रहने दीजिएगा क्योंकि कुछ तो आप भी पिघलेंगे ऐसी मार्वल्स टाइप फिल्मों को अपनी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में पाकर? शर्त है बस अपना दिल लेकर के सिनेमाघरों में जाइएगा, दिमाग को कुछ समय के लिए शांत रखियेगा तभी आप इसकी भव्यता के मनोरंजन में पूरे डूब उतर सकेंगे।

अपनी रेटिंग – 3 स्टार

About the author

Tejas Poonia

लेखक - तेजस पूनियां स्वतंत्र लेखक एवं फ़िल्म समीक्षक हैं। साहित्य, सिनेमा, समाज पर 200 से अधिक लेख, समीक्षाएं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं, पोर्टल आदि पर प्रकाशित हो चुके हैं।

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