Dharmendra Dilip Kumar Friendship: जब 18 साल के धर्मेंद्र ने दिलीप साहब के बेडरूम में घुसकर सबको हैरान कर दिया!

Young Dharmendra enters Dilip Kumar’s bedroom true story incident

बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ कहे जाने वाले धर्मेंद्र (Dharmendra) के जीवन में कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें सुनकर लगता है मानो किसी फिल्म का दृश्य हो। लेकिन उनकी और “ट्रेजेडी किंग” दिलीप कुमार की दोस्ती की कहानी जितनी अपनत्व भरी है, उतनी ही अविश्वसनीय भी। धर्मेंद्र अक्सर इंटरव्यू में बताते रहे हैं कि दिलीप कुमार (Dilip Kumar) उनके लिए सिर्फ एक महान कलाकार नहीं बल्कि उनकी प्रेरणा, उनका आदर्श और उनके करियर का दिशा-निर्देशक थे। दोनों के बीच जो रिश्ता बना, उसकी शुरुआत खुद एक फिल्मी घटना की तरह हुई।

सीधे दिलीप कुमार के बेडरूम पहुँच गए थे नौजवान धर्मेंद्र

यह किस्सा 1952 का है। उस समय धर्मेंद्र लुधियाना के एक कॉलेज में सेकंड ईयर के छात्र थे। उनके दिल में एक ही सपना था—अपने पसंदीदा अभिनेता दिलीप कुमार (Dilip Kumar) से मिलना। फिल्म शहीद में दिलीप साहब को देख कर धर्मेंद्र इतने प्रभावित हुए थे कि उन्हें लगता था, शायद उनके और दिलीप साहब के अंदर कोई समानता है। इसी चाहत में वह पहली बार मुंबई पहुँचे और बिना समय गँवाए अगले ही दिन पाली माला स्थित दिलीप कुमार के घर जा पहुँचे।

उस वक्त न गेट पर कोई गार्ड था और न ही बाहर कोई रोक-टोक। धर्मेंद्र ने सोचा कि शायद यहाँ भी पंजाब जैसा माहौल होगा जहां घर खुले रहते हैं और लोग आसानी से अंदर-बाहर आते-जाते हैं। वे सीधे अंदर गए, सीढ़ियाँ चढ़ीं और एक कमरे में जा पहुँचे—जो कि दिलीप कुमार का निजी बेडरूम था। धर्मेंद्र बताते हैं कि वहाँ पहुंचकर उन्होंने दिलीप साहब को सोते हुए देखा, तभी अचानक दिलीप साहब उठ बैठे। सामने एक अनजान युवक को खड़ा देख वे चौंक गए। शर्म और डर से कांपते हुए धर्मेंद्र तुरंत नीचे भाग गए और घर से बाहर निकल आए।

डरे-सहमे धर्मेंद्र पास के एक कैफे में जाकर बैठ गए और लस्सी पीते हुए खुद को कोसते रहे कि आखिर उन्होंने ऐसा गैरज़िम्मेदाराना कदम क्यों उठाया। उन्हें लग रहा था कि शायद उन्होंने अपने आदर्श के सामने हमेशा के लिए गलत छाप छोड़ दी।

“पंजाब में घर खुले होते हैं…” – धर्मेंद्र का मासूम जवाब

बाद में धर्मेंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि उन्हें उस समय बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि मुंबई में सुपरस्टार्स के घर इतने सुरक्षित और निजी होते हैं। उनके दिमाग में पंजाब का ग्रामीण माहौल था, जहाँ लोग बिना हिचकिचाहट एक-दूसरे के घर में जा पहुँचते हैं। उन्हें यह बात धीरे-धीरे समझ आई कि यह आम आदमी का घर नहीं, बल्कि हिंदुस्तानी सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में से एक का निवास है।

छह साल बाद किस्मत ने दोनों को फिर मिलाया

1952 की वह गलत-फहमी भरी मुलाकात भले ही अधूरी रह गई, लेकिन किस्मत ने छह साल बाद ऐसा मोड़ लिया जिसने दोनों को सही तरीके से एक-दूसरे से मिलवाया। धर्मेंद्र ने यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स–फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट जीता और मुंबई में उन्हें ग्रूमिंग और मेकअप करवाने के लिए एक मेकअप रूम में भेजा गया। वहाँ मेकअप कर रही महिला कोई और नहीं बल्कि दिलीप कुमार की बहन फरीदा थीं।

धर्मेंद्र ने हिम्मत कर फरीदा जी से कहा कि अगर संभव हो तो वह उन्हें अपने आदर्श भाई दिलीप साहब से एक बार मिलवा दें। फरीदा ने मुस्कुराकर हामी भरी और अगले ही दिन धर्मेंद्र को 48 पाली हिल आने के लिए कहा गया।

इस बार मुलाकात बिल्कुल अलग थी…

धर्मेंद्र जब इस बार पाली हिल के बंगले पहुँचे, तो माहौल बिल्कुल अलग था। दिलीप कुमार ने दरवाज़ा खुद खोला, धर्मेंद्र को मुस्कुराते हुए अंदर बुलाया और गले लगाकर स्वागत किया। दोनों लॉन में बैठकर काफी देर तक बातें करते रहे। दिलीप साहब ने अपने शुरुआती संघर्ष, एक्टिंग की समझ और फिल्मों के अनुभवों को धर्मेंद्र के साथ साझा किया। धर्मेंद्र सम्मान और भावुकता के साथ हर बात सुनते रहे।

यहीं से उनकी दोस्ती की शुरुआत हुई—एक ऐसी दोस्ती, जो आने वाले कई दशकों तक दोनों परिवारों के बीच कायम रही।

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