🎥 काजल किरण की शुरुआत: स्टारडम की उम्मीद
काजल किरण ने 1977 में 'हम किसी से कम नहीं' से बॉलीवुड में कदम रखा। नासिर हुसैन द्वारा निर्देशित इस फिल्म में उनके अभिनय को खूब सराहा गया और फिल्म सुपरहिट साबित हुई। 1980 में 'माँग भरो सजना' में भी उन्होंने दमदार अभिनय किया और यह फिल्म भी व्यावसायिक रूप से सफल रही।
🎭 संघर्ष की शुरुआत और बॉलीवुड से दूरी
शुरुआती सफलता के बावजूद काजल का करियर तेजी से ढलान की ओर बढ़ने लगा। उन्होंने 14 वर्षों के करियर में लगभग 40 हिंदी फिल्मों में काम किया, जिसमें कन्नड़, तमिल और मलयालम फिल्में भी शामिल रहीं। उनकी अधिकतर बाद की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर विफल रहीं।
🔥ऋषि कपूर पर आरोप: एक सह-कलाकार ने क्यों ठहराया जिम्मेदार?
काजल किरण का मानना था कि उनकी करियर ग्रोथ में सह-कलाकार ऋषि कपूर की छवि बाधा बनी। उन्होंने आरोप लगाया कि ऋषि कपूर के रोमांटिक हीरो वाली इमेज के कारण वे फिल्म में उभर नहीं सकीं। उन्होंने यह भी कहा कि निर्देशक नासिर हुसैन ने उन्हें अन्य फिल्मों को मना करने की सलाह दी थी, जिससे उन्हें प्रस्ताव मिलने में देरी हुई।
💔 काजल को मिला फ्लॉप का टैग
काजल किरण का कहना था कि जया प्रदा और डिंपल कपाड़िया ने भी उनके समय में डेब्यू किया, लेकिन उन्हें बॉलीवुड में पहचान और सफलता मिली। वहीं काजल को “फ्लॉप” का टैग मिल गया। उन्होंने 'मोर्चा', 'वारदात', 'हम से है ज़माना' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
🌍 नीदरलैंड में रिटायरमेंट और निजी जीवन
33 साल की उम्र में काजल किरण ने फिल्म इंडस्ट्री से संन्यास ले लिया। शादी के बाद वह नीदरलैंड शिफ्ट हो गईं और पिछले तीन दशकों से वहीं रह रही हैं। उनके पति की पहचान सार्वजनिक नहीं है और वह अब पूरी तरह से ग्लैमर वर्ल्ड से दूर हैं।
काजल किरण की कहानी सिर्फ एक स्टार बनने की नहीं, बल्कि स्टार बनने के बाद अस्त हो जाने की भी है। उनकी शुरुआती चमक, बाद की निराशा और व्यक्तिगत जीवन में अपनाया गया सादगी भरा रास्ता उन्हें बॉलीवुड की सबसे अनसुनी लेकिन दिलचस्प कहानियों में से एक बनाता है।
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